Post author By Arjun Gupta Post date July 12, 2020 भरा नहीं जो भावों से है, बहती जिसमें रस धार नहीं। वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं। – राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त → slide